प्रारंभिक शिक्षा को मजबूत करने व शिक्षा के जिला स्तर तक विकेंद्रीकरण को समर्थन देने के उद्देश्य से NPE-1986 (National policy on Education) में डाइट की परिकल्पना की गई थी । डाइट की स्थापना मानव संसाधन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा शिक्षक शिक्षा पर केंद्र प्रायोजित योजना के तहत पिंक बुक ( भारत सरकार 1989 ) में दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए वर्ष 1990 के प्रारम्भ में की गई।
इसी क्रम में वर्ष 1988 में उदयपुर डाइट की स्थापना हुई थी l डाइट का वर्तमान परिसर, उदयपुर कर्णावती (अहमदाबाद) मुख्य मार्ग पर स्थित गोवर्धन विलास परिक्षेत्र में 90,000 वर्ग मीटर में फैले प्राकृतिक छटा से भरपूर भूभाग में विस्तीर्ण है l जिसके 17,263 वर्ग फीट में निर्मित भवन का वास्तु 15 नवम्बर 1992 को राजस्थान शासन के तत्कालीन शिक्षा मंत्री श्री हरि कुमार जी औदिच्य के कर कमलों से हुआ था l
डाइट के लिए जिन मुख्य क्षेत्रों की परिकल्पना की गई है, वे क्षेत्र एनसीएफ 2005, एनसीएफटीई 2007, चिंतनशील शिक्षक (सेवारत प्रशिक्षण के लिए मैन्युअल), एनसीएफटीई 2009, बीआरसी-सीआरसी के लिए क्रियाशील दिशा-निर्देश (भारत सरकार, 2010) जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेजों पर आधारित है।
डाइट की भूमिका
- जिले के राजकीय पूर्व प्राथमिक, प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, तथा उच्च माध्यमिक विद्यालयों के प्रबंधन एवं कक्षा-शिक्षण की गुणवत्ता बढ़ाना।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के परिप्रेक्ष्य में जिले के शिक्षकों का आमुखीकरण करना एवं निर्देशानुसार कार्यों का संपादन करना।
- विभिन्न प्रशिक्षणों, कार्यशालाओं, बैठकों एवं प्रसार कार्यक्रमों के माध्यम से शिक्षकों में सतत् व्यावसायिक क्षमता संवर्द्धन के साथ व्यवहारगत दक्षता एवं प्रतिबद्धता बढ़ाना।
- शिक्षक तक सीखने के प्रतिफल व पाठ्यक्रम की समझ विकसित करना, विषयवस्तु को स्थानीय परिवेश से जोड़ते हुए शिक्षकों एवं विद्यार्थियों हेतु उपयोगी अधिगम सामग्री का विकास करना तथा कक्षा-शिक्षण में शैक्षिक नवीनता लाने के लिए शिक्षक को नवाचारों से जोड़ना।
- शिक्षकों में अनुसंधान के दृष्टिकोण का विकास एवं क्रियात्मक अनुसंधान को बढ़ावा देना।
- शत-प्रतिशत नामांकन, ठहराव सुनिश्चित करना एवं कक्षा-शिक्षण की गुणवत्ता में उत्तरोत्तर अभिवृद्धि, शिक्षकों की व्यावसायिक दक्षता संवर्धन एवं स्थानीय मुद्दों के समाधान हेतु अनुसंधान करना।
- शिक्षण सहायक सामग्री के निर्माण को बढ़ावा देना तथा उसके कक्षा-शिक्षण में अधिकतम उपयोग को प्रोत्साहित करना।
- विद्यालयों के प्रधानाचार्यों, प्रधानाध्यापकों एवं शिक्षकों को सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन (सीसीई) विधा के अनुरूप कक्षा-कक्ष गतिविधियों के लिए प्रोत्साहित करना, साथ ही बाल केंद्रित शिक्षण (सीसीपी) एवं गतिविधि आधारित अधिगम (एबीएल) हेतु उनकी क्षमता संवर्द्धन करना।
- विद्यालयों का प्रभावी प्रबोधन, अवलोकन एवं संबलन प्रदान करते हुए उन्हें आदर्श रूप में विकसित करना।
- शिक्षकों की सतत् व्यावसायिक दक्षता का विकास एवं सतत्डिजीटल क्षमता सवंर्धन करनास
- डाइट द्वारा ई-सामग्री निर्माण एवं प्रसारण करना। (उपलब्ध डिजिटल माध्यम द्वारा)
- डाइट ग्रेडिंग उन्नयन हेतु सकारात्मक प्रयास करना।
- डाइट से यह अपेक्षा की जाती है कि वे प्रधानाध्यापक प्रधानाचार्य, शिक्षा विभाग के ब्लॉक स्तरीय अधिकारी, एसएमसी के सदस्यों, जन-प्रतिनिधियों,बीआरसी-सी आरसी समन्वयकों के लिए प्रशिक्षणों में अकादमिक सहयोग प्रदान करें।