पृष्ठभूमि -
राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2023, (NCF-SE, NCF-ECCE, NCF-FS) NEP 2020 के परिप्रेक्ष्य में वर्णित है कि सौन्दर्य व कला के विभिन्न रूपों को समझना व उसका आनंद उठाना, मानव जीवन का एक अभिन्न अंग है। कला, साहित्य और ज्ञान के अन्य क्षेत्रों में सृजनात्मकता का एक दूसरे से घनिष्ठ संबंध है। बच्चे की रचनात्मक अभिव्यक्ति और सौंदर्यात्मक अनुभूति की क्षमता के विकास के लिए साधन और अवसर मुहैया कराना शिक्षा का अनिवार्य कार्य हैं।
वर्तमान वैश्वीकरण के युग में मानव अपने भीतर मौजूद कला, संस्कृति एवं जीवन के भावनात्मक पक्ष, मानवीय मूल्य के संवर्द्धन हेतु समय नहीं दे पा रहा है और उसका जीवन नीरस हो रहा है । इतने व्यस्त समय में जब भी उसका सामना परिवेश में प्रचलित लोक-संगीत, लोक-कला, लोक-नाट्य से होता है, तो वह एकदम जीवंत हो उठता है और उसमें इन कलाओं को अपने जीवन में समाहित करने के विचार जाग्रत होते हैं। विभिन्न कार्यक्रम जैसे- प्रार्थना-सभा, लोक-संगीत, उत्सव, पर्व, उपयोगी एवं कलात्मक सामग्री निर्माण, व्यावसायिक शिल्प और जीवन मूल्यों का सुदृढ़ीकरण कार्यानुभव प्रभाग के माध्यम से किया जाता है ।
“स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है।“ इस प्रभाग में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता- योग, व्यायाम, सूक्ष्म व्यायाम आदि से सम्बन्धित कार्यक्रम आयोजित किये जाते है । समाज में बढ़ती हुई जनसंख्या को बेरोजगारी से उबारने के लिए विभिन्न कलाएँ जैसे- छापांकन कला, स्टेंसिल, कोलाज, फल-सब्जी संरक्षण, घरेलू उपयोगी एवं कलात्मक सामग्री निर्माण, घरेलू उपकरणों का रख-रखाव इत्यादि का प्रशिक्षण इस प्रभाग द्वारा दिया जाता है। इसके अतिरिक्त अल्पना, मांडने, रंगोली, उत्सव, लोककलाओं आदि के कार्यक्रम भी होते है।
प्रभाग के कार्य –